हाथरस। विधान परिषद के सदस्यों के पत्रों पर कार्यवाही न करने तथा विशेषाधिकार हनन के मामलों में सुनवाई के लिए विधानपरिषद की नियम पुनरीक्षण समिति आज बृहस्पतिवार को हाथरस एवं कासगंज जनपद के अधिकारियों के साथ बैठक करेगी।
विधानपरिषद की नियम पुनरीक्षण समिति में सभापति धर्मेन्द्र भारद्वाज समेत कुल 10 सदस्य हैं। समिति ने जनवरी माह के प्रथम सप्ताह में मेरठ, मुरादाबाद और सहारनपुर मण्डल के जनपदों के समस्त अधिकारियों के साथ बैठक की थी एवं जनहित के समस्त लम्बित कार्यों को निर्धारित समय के अर्न्तगत पूरा करने के निर्देश दिये थे। नियम के विरूद्ध किये गये कार्यों व विशेषाधिकार हनन से जुड़े मामलों पर विधान परिषद में चर्चा के लिए विभिन्न नियमों के तहत मांगी जाने वाली सूचनाओं में विलम्ब करने, जनप्रतिनिधियों के पत्रों पर कार्यवाही न करने से जुड़े मामलों में समिति के सभापति धर्मेन्द्र भारद्वाज द्वारा कई जनपदों के अधिकारियों को लखनऊ में स्पष्टीकरण के लिए तलब किया गया था। एक बार फिर पुनः समिति की समीक्षा अलीगढ़ एवं एटा के अधिकारियों के साथ बैठक अलीगढ़ के कलेक्ट्रेट में समपन्न हुई। इस दौरान समिति के सभापति धर्मेंद्र भारद्वाज जी ने समाज कल्याण, लोक निर्माण, बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा, जल निगम एवं पंचायती राज के अधिकारियों को स्पष्टीकरण के लिए लखनऊ तलब किया एवं समस्त कार्यों को नियमों के अंतर्गत करने के निर्देश दिए। बैठक में जनप्रतिनिधियों के पत्रों पर कार्यवाही न करने, विधान परिषद में चर्चा के लिए विभिन्न नियमों के तहत मांगी जाने वाली सूचनाओं के तहत विलम्ब करने समेत कुल दस बिंदुओं पर समिति अफसरों से जबाब तलब करेगी। सभापति धर्मेन्द्र भारद्वाज ने बताया कि बैठक में चर्चा केे दस बिंदु पूर्व में ही सभी जनपदों को उपलब्ध करा दिए गए है। और समिति की प्राथमिकता जनहित के लम्बित मामलों को तय समय में पूरा कराने का सतत प्रयास रहेगा। बृहस्पतिवार को जनपद हाथरस के कलेक्ट्रेट में समिति बैठक करेगी। समिति की बैठक की तैयारी बुधवार को दिनभर चली सभी विभागों से सूचना प्राप्त करके बुकलेट तैयार की गई। समिति के सदस्य बुधवार शाम ही हाथरस में स्थित अम्बा गेस्ट हाउस में पहुँच गये थे।
समिति के मुख्य सवाल –
तीन साल में विधान परिषद सदस्यों के कितने पत्रों के उत्तर भेजें?
तीन साल में विधान परिषद के नियमों के तहत कितनी सूचनाएँ उपलब्ध कराई गई?
तीन साल में विधान परिषद की कितनी याचिकाओं पर कार्यवाही की गई?
विशेषाधिकार के कितने मामले लंबित है?
विधान परिषद के कितने पत्र प्राप्त हुए और कितने पत्रों पर कार्यवाही की गई?
विधायकों के प्रोटोकॉल उल्लंघन के कितने मामले लंबित हैं?
तीन साल में विधायकों के कितने पत्रों का उत्तर नहीं दिया?
विभागीय बैठकों में विधायक, जनप्रतिनिधियों को न बुलाने के कितने मामले है, इनके लिए कौन अधिकारी जिम्मेदार हैं?
