हाथरस। प्राइवेट स्कूलों द्वारा हर वर्ष सिलेबस बदलने, मनमानी फीस वृद्धि और अभिभावकों पर अनावश्यक आर्थिक बोझ डालने के खिलाफ एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक ह्यूमन राइट्स (ADHR) ने आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी है। इस संबंध में मंडी समिति स्थित कार्यालय पर आयोजित प्रेस वार्ता में राष्ट्रीय महासचिव प्रवीण वार्ष्णेय ने बताया कि निजी स्कूल संचालक हर वर्ष सिलेबस बदलकर अभिभावकों को कोर्स खरीदने के लिए मजबूर कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हर साल सिलेबस बदलने का कोई ठोस कारण नहीं होता, फिर भी स्कूल संचालक निजी प्रकाशकों से सांठगांठ कर भारी कमीशन के बदले पाठ्यक्रम बदल देते हैं। इससे अभिभावकों पर तीन हजार रुपए से दस हजार रुपये तक का अतिरिक्त खर्च आ जाता है, जबकि किताबों की छपाई और गुणवत्ता बेहद साधारण होती है। इसके अलावा, प्राइवेट स्कूल सरकार द्वारा निर्धारित फीस नियंत्रण कानूनों का उल्लंघन कर लगातार फीस बढ़ा रहे हैं, जिससे अभिभावक आर्थिक रूप से प्रताड़ित हो रहे हैं।
प्रेस वार्ता में एडीएचआर ने यह भी सवाल उठाया कि सरकार की इकाई एनसीईआरटी की पुस्तकें स्कूलों में क्यों नहीं पढ़ाई जातीं? यदि स्कूलों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू किया जाए तो अभिभावकों पर आर्थिक बोझ कम होगा और शिक्षा की गुणवत्ता भी बेहतर होगी। एडीएचआर ने अभिभावकों से नए सिलेबस न खरीदने की अपील की है और सुझाव दिया कि जिनके पास पुराने सिलेबस उपलब्ध हैं, वे आपस में उनका आदान-प्रदान करें। इससे न केवल आर्थिक बोझ कम होगा बल्कि निजी स्कूलों की मनमानी पर भी अंकुश लगेगा। इस आंदोलन के तहत 1 अप्रैल मंगलवार को एडीएचआर व अभिभावकों का प्रतिनिधिमंडल जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन सौंपेगा, जिसमें निजी स्कूलों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की जाएगी।
प्रेस वार्ता में नवनियुक्त जिला अध्यक्ष उपवेश कौशिक, जिला महासचिव शैलेंद्र सांवलिया, जिला कोषाध्यक्ष कमल कांत दोबरावाल, अमन बंसल सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।