हाथरस। संस्कार भारती के तत्वावधान में आगरा रोड स्थित सरस्वती विद्या मंदिर में शरद ऋतु काव्य समारोह का आयोजन किया गया। कुंवरपाल भंवर की अध्यक्षता में आयोजित यह कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शताब्दी, महर्षि वाल्मीकि जयंती और मीराबाई जयंती के उपलक्ष्य में समर्पित था।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि जिला कार्यवाह रामकिशन, विशिष्ट अतिथि विद्यालय प्रबंधक शरद, संस्कार भारती के प्रांतीय संरक्षक आशु कवि अनिल बौहरे तथा कार्यक्रम अध्यक्ष कुंवरपाल भंवर द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। इसके उपरान्त संस्कार भारती के जिलाध्यक्ष एवं कार्यक्रम संचालक चेतन उपाध्याय ने अतिथियों के साथ मां सरस्वती, भारत माता एवं महर्षि वाल्मीकि के चित्रों पर माल्यार्पण कर समारोह की पावन शुरुआत की। साहित्यिक सत्र की शुरुआत साहित्य संयोजक डॉ सुनीता उपाध्याय द्वारा सरस्वती वंदना द्वारा की गई। इसके बाद, संस्था के ध्येय गीत का वाचन उपाध्यक्ष मधु शर्मा ने किया।
कार्यक्रम में उपस्थित कवियों ने निम्न काव्य पाठ किया-
दीपक रफ़ी –
“मैं उतारता रहूं प्रतिदिन मां शारदे की आरती,
नागरिक कर्तव्य का लक्ष्य पूरा करती है संस्कार भारती”
आशु कवि अनिल बौहरे-
“वाल्मीकि रामायण करती है जन जन का उद्धार,
राम कृपा से शताब्दी बर्ष हर्ष है धन्य संघ परिवार”
कोषाध्यक्ष श्याम बाबू चिंतन-
“डॉ हेगडेवार जी के हृदय था विचार आया,
हमने स्वयंसेवक संघ प्रगति शताब्दी मनाया”
जिलाध्यक्ष चेतन उपाध्याय-
“गीदड़ खुले छोड़ दिए जाते हैं,
शेर पिंजरों में बंद किये जाते हैं”
उपाध्यक्ष नारायण प्रसाद तिवारी-
“पवन चलै अनुकूल समय पै बदरा पानी लावे,
सस्य श्यामला भारत मां,खेत हरे लहरावैं”
मंत्री सुखप्रीत सिंह सुक्खी-
“प्यार के बदले मैं प्यार ले लूंगा,
नगद नहीं मिला उधार ले लूंगा”
मंत्री जीवन लाल शर्मा-
“भला हुआ जो राम कहानी हो गई”
मनु दीक्षित ‘मनु’-
“दावा करते थे कंकड़ पत्थर,
खोदा तो शिवशंकर भोलेनाथ निकले”
कुंवरपाल भंवर-
“हुआ यहां अवतार कृष्ण का माया पहले आई थी,
माया को ही वशीभूत कर मुरली पहले बजाई थी”
इस मौके पर कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि आरएसएस के जिला कार्यवाह रामकिशन ने कार्यक्रम को संघ शताब्दी और वाल्मीकि जयंती के अनुरूप अद्भुत बताया। विशिष्ट अतिथि एवं विद्यालय के प्रबंधक शरद ने समय समय पर ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन पर जोर दिया। इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक प्रभु दयाल दीक्षित ‘प्रभु’ ने बांसुरी वादन से वातावरण को माधुर्य से सराबोर कर दिया।
कार्यक्रम को संस्कार भारती के महामंत्री एआर शर्मा, चंद्रशेखर विमल, हेमेंद्र शर्मा, मुकेश शर्मा आदि पदाधिकारियों ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का समापन साहित्यिक एवं सामाजिक क्षेत्र की स्मृति-शेष विभूतियों राधेश्याम, सुकवि मदन मोहन गौड़, सत्यनारायण सुधाकर, पत्रकार विनय ओसवाल, साहित्यकार बृजेंद्र नाथ चतुर्वेदी और डोरीलाल विकल को श्रद्धांजलि अर्पित करके किया गया।
