विश्व रक्तदान दिवस पर विशेष
हाथरस। आज 14 जून विश्व रक्तदान दिवस है। विश्व रक्तदान दिवस के अवसर पर जिले के समाजसेवी प्रवीण वार्ष्णेय की पहल ने एक बार फिर रक्तदान के महत्व को रेखांकित किया है। एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक ह्यूमन राइट्स के राष्ट्रीय महासचिव प्रवीण वार्ष्णेय पिछले 15 वर्षों से न केवल स्वयं नियमित रक्तदान कर रहे हैं, बल्कि समाज को इस पुनीत कार्य से जोड़ने के लिए अभियान भी चला रहे हैं।
एक दर्दनाक घटना ने बदल दी जिंदगी
वर्ष 2008 में प्रवीण वार्ष्णेय के चाचा एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए। उस समय रक्त की तलाश में हुई भटकन ने उन्हें झकझोर दिया। “उस दिन मैंने ठान लिया कि किसी और को रक्त के लिए तरसना नहीं पड़ेगा,” प्रवीण वार्ष्णेय ने बताया। यही प्रेरणा आज एक व्यापक जनआंदोलन बन चुकी है।
पारिवारिक उत्सवों को सामाजिक संदेश से जोड़ा
प्रवीण वार्ष्णेय ने रक्तदान को केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि जीवनशैली बना दिया। उन्होंने अपनी पत्नी और बच्चों के जन्मदिन, यहां तक कि अपनी वैवाहिक वर्षगांठ पर भी रक्तदान शिविर आयोजित करने की अनूठी परंपरा शुरू की। उनकी 10 वर्षीय बेटी हर्षिता और 9 वर्षीय बेटे भव्यान्श के जन्मदिन अब सैकड़ों लोगों के लिए जीवनदान का अवसर बनते हैं। उनका अनुसरण करते हुए लोग भी अब अपने पारिवारिक उत्सवों पर एडीएचआर संगठन के द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन करवाते हैं।
संख्या बयां करती है समर्पण
54 बार स्वयं रक्तदान कर चुके हैं प्रवीण।
6 बार उनकी पत्नी ने दिया रक्त।
150+ शिविर आयोजित कर हजारों मरीजों को बचाया।
2010 में बागला जिला अस्पताल के ब्लड बैंक के पहले दाता बने।
समाज को दिया नया संदेश
प्रवीण वार्ष्णेय के प्रयासों ने लोगों की सोच बदली है। अब कई परिवार उनसे संपर्क कर अपने विशेष अवसरों पर रक्तदान शिविर आयोजित कराते हैं। “हमारा लक्ष्य है कि हाथरस में कोई भी रक्त के अभाव में न मरे,” प्रवीण वार्ष्णेय का यह संकल्प दूसरों के लिए प्रेरणा है। उनका अभियान न केवल जागरूकता फैला रहा है, बल्कि मानवता की मिसाल भी पेश कर रहा है।
– हाथरस संवाददाता की विशेष रिपोर्ट