हाथरस। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व नगर कार्यवाह एवं वरिष्ठ स्वयंसेवक यशपाल भाटिया का मंगलवार को उनके आवास पर निधन हो गया। वे 93 वर्ष के थे। अंतिम समय में भी उनके हाथों में भारत माता का चित्र था। उनके निधन से संघ परिवार सहित शहर में शोक की लहर दौड़ गई।मुरसान गेट निवासी यशपाल भाटिया का जन्म वर्ष 1932 में पाकिस्तान के हजारा क्षेत्र में हुआ था। भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद वे भारत आए और संघर्षपूर्ण जीवन व्यतीत किया। वे अपने परिवार के साथ रहते थे। उनके तीन बच्चे हैं। उनकी धर्मपत्नी मोतिया भाटिया का कुछ माह पूर्व निधन हो चुका है।
भाटिया का जीवन महर्षि दयानंद सरस्वती और संघ संस्थापक डॉ. केशराव बलिराम हेडगेवार के विचारों से प्रेरित रहा। उन्होंने आजीवन संघ कार्य करते हुए संस्कारित समाज के निर्माण में योगदान दिया। वे प्रतिदिन आर्य समाज मंदिर जाकर हवन करते थे और संघ के स्वयंसेवकों के मार्गदर्शन व सेवा में लगे रहते थे।आपातकाल के दौरान संघ कार्य करते हुए उन्हें जेल भी जाना पड़ा। इसके लिए उन्हें लोकतंत्र रक्षक सेनानी के सम्मान से सम्मानित किया गया था। उन्होंने अपनी लोकतंत्र सेनानी पेंशन भी संघ के सेवा कार्यों को समर्पित कर दी। समाज के बच्चों को अच्छी शिक्षा और संस्कार मिलें, इसके लिए उन्होंने अपनी जीवन भर की जमा पूंजी विद्या भारती को समर्पित करते हुए सरस्वती शिशु मंदिर और विद्या मंदिर के लिए अर्पित कर दी।
उनकी अंतिम यात्रा मुरसान गेट स्थित आवास से प्रारंभ होकर पत्थरवाली श्मशान घाट पहुंची। अंतिम यात्रा में संघ के स्वयंसेवकों सहित समाज के सभी वर्गों के लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए। श्मशान घाट पर उत्तर प्रदेश सरकार के जवानों द्वारा उन्हें अंतिम विदाई दी गई। पुलिस जवानों ने बंदूकें झुकाकर सलामी देकर श्रद्धांजलि अर्पित की। यशपाल भाटिया मुरसान गेट स्थित वीर सावरकर शाखा के सबसे पुराने स्वयंसेवकों में शामिल थे। वे नियमित रूप से शाखा में जाते थे और आसपास के लोगों को शाखा से जोड़ने का कार्य करते थे। शाखा के बाद वे प्रतिदिन आर्य समाज मंदिर में हवन करते थे। संघ में उन्होंने कई वर्षों तक विभिन्न दायित्वों का निर्वहन किया।
